शेयर मार्केट क्रैश होने पर क्या करें?

 


आज के ब्लॉग की शुरुआत में कुछ इस तरह से करना चाहूंगा कि 

"जो लोग दूसरों से प्रशंसा पाना चाहते हैं उनकी खुशी दूसरों पर निर्भर करती है लेकिन बुद्धिमान की खुशी अपने स्वयं के कामों पर निर्भर करती है"

 आज की पोस्ट में हम मार्केट क्रैश क्यों होता है इस पर बात करेंगे और इस बारे में भी बात करेंगे कि अगर मार्केट क्रैश होता है तो हमें क्या करना चाहिए?

जब मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं इस समय इंडियन स्टॉक मार्केट अपनी अधिकतम मूल्य से लगभग 10 परसेंट नीचे आ गया है मतलब की मार्केट में अच्छी खासी गिरावट हुई है और सेंसेक्स लगभग 55000 पर आ गया है और यह भी कहा नहीं जा सकता कि आगे और गिरावट होगी या नहीं। सच कहा जाए इसका अनुमान लगाना निवेशक के बस में नहीं है तो हमें इस बात से तो बिल्कुल चिंतित ही नहीं होना चाहिए क्योंकि जो चीज हमारे वश से बाहर है उसके बारे मे चिंता कैसी, लेकिन 90% लोगों का चिंता का बिषय ही यही है।

 *इस गिरावट में केवल परेशानी उन्हीं लोगों को हो रही है जो उस वक्त मार्केट में दाखिल हुए थे जब मार्केट काफी ऊंचा चल रहा था जो लोग काफी पुराने समय से मार्केट में है उन्हें अच्छी तरह पता है कि क्या करना है?

तो आज की पोस्ट में मैं यही बताऊंगा कि अगर आप भी पिछले साल या अभी कुछ समय पहले ही मार्केट में आए हो और मार्केट की पहली मंदी से आपका सामना हुआ है परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है यह पोस्ट पढ़ने के बाद आप पूर्ण रुप से निश्चिंत हो जाएंगे तो चलिए शुरू करते हैं,

   मार्केट क्रैश क्यों होता है?

मार्केट क्रैश होने पर क्या करना चाहिए यह समझने के लिये पहले आपको यह समझना होगा की मार्केट क्रैश होता क्यों है इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं, 

17 मार्च 2000 को इक्टोमी कॉरपोरेशन के शेयर ने ₹15000 का नया हाई लेवल छुआ, क्योंकि वे पहली बार जून 1998 में बाजार में इसलिए इंटरनेट सर्च सॉफ्टवेयर कंपनी के शेयरों में लगभग 1900% की वृद्धि हुई थी।

 दिसंबर 1999 के बाद कुछ हफ्तों में स्टाक लगभग 3 गुना हो गया इक्टॉमी में क्या चल रहा था जो इक्टामी के व्यापार को इतना मूल्यवान बना सकता था?

 उत्तर लगभग स्पष्ट था तेजी से विकास।

 दिसंबर 1999 में समाप्त होने वाली तिमाही में इक्टामी ने उत्पादों और सेवाओं में 360 करोड़ों रुपए की बिक्री की इतनी बिक्री इस ने 1998 के पूरे वर्ष में नहीं की थी इस तरह कंपनी बहुत ज्यादा मुनाफा कमा रही थी।

जबकि इसके फंडामेंटल इतने ज्यादा अच्छे नहीं थे।इसके बावजूद भी मार्केट ने 17 मार्च 2000 को एक छोटी सी कंपनी का कुल मूल्य 20 लाख करोड़ रुपए बताया। फिर अचानक मार्केट अवसाद की चपेट में आ गया।

 ₹15000 की ऊंची छलांग के ठीक ढाई साल बाद 30 सितंबर 2002 को कंपनी का शेयर ₹4 पर बंद हुआ और मार्केट ने कंपनी का मूल्य 200 करोड़ रुपए से भी कम बताया क्या हुआ था कंपनी का कारोबार खत्म हो गया था हरगिज़ नहीं। कंपनी अब भी बढ़िया प्रदर्शन कर रही थी।

 केवल मार्केट का मिजाज बदला 2000 की शुरुआत में निवेशक इंटरनेट पर इतने अनियंत्रित थे कि उन्होंने कंपनी के शेयरों की कीमत लगभग ढाई सौ गुना बढ़ा दी अब हालांकि इसकी कीमत का महज  .35 गुना भुगतान करेंगे।

मार्केट ने हर उस स्टॉक को बुरी तरह से रौंद दिया था जिसने उसे मूर्ख बनाया था।

लेकिन कुछ ही समय बाद याहू ने घोषणा कर दी कि वह उस कंपनी के शेयर को ₹30 प्रति शेयर के हिसाब से खरीद लेगा।


 इससे आपको क्या सीखने को मिला?

इससे हमको यह सीखने को मिलता है कि हमें ठीक वैसा महसूस नहीं करना चाहिए जिस तरह का हमें मार्केट महसूस कराना चाहता है हमें उस समय बिल्कुल भी खरीदारी नहीं करनी चाहिए जिस समय मार्केट जोश और खुशी से चिल्ला रहा होता है और उस समय अपने आपको बिल्कुल भी बेचने से रोकना चाहिए जिस समय मार्केट अपना दिमागी संतुलन खो खुद अपने आप को बर्बाद कर देता है।

 मार्केट क्रैश होने पर क्या करें ?

  • क्या आप एक ऐसे इंसान(जो अपनी इच्छा से सर्टिफिकेट बना कर सलाहकार बना है) को सप्ताह में कम से कम 5 बार उसको यह बताने की अनुमति देंगे कि आपको कैसा महसूस करना चाहिए कि आप सिर्फ इसीलिए खुश होंगी क्योंकि वह खुश है या सिर्फ इसीलिए दुखी होंगे क्योंकि वह सोचता है कि आपको दुखी होना चाहिए मेरी अनुसार बिल्कुल नहीं आप अपने अनुभवों और विश्वासों के आधार अपने भावनात्मक पहलू को नियंत्रित करेंगे लेकिन जब वित्तीय जीवन की बात आती है तो आप लोग मार्केट को बताने देते हैं कि आपको कैसा महसूस करना चाहिए और क्या करना चाहिए जबकि यह बात आप अच्छी तरह जानते हैं कि समय-समय पर मार्केट अपना दिमागी संतुलन खो सकता है जब मार्केट खुशी से चीख रहा होता है तब लोग उसमें बहुत ज्यादा निवेश करते हैं और जब मार्केट में क्रश आता है और मार्केट बहुत ज्यादा सस्ता हो जाता है तो लोगों को खरीदने की इतनी उत्सुकता नहीं रहती है क्योंकि वे अपने लिए सोचने के बजाय मार्केट की नकल करने लगते हैं।
  • बुद्धिमान निवेशक को पूरी तरह से मार्केट की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए इसके बजाय उसके साथ व्यापार करना चाहिए।
  • मार्केट का काम आपको कीमतें प्रदान करना है आपका काम यह तय करना है कि आप के लाभ या हानि देखते हुए खरीद या बेच करनी है या नहीं।
  • आपको उसके साथ केवल इसलिए व्यापार नहीं करना है क्योंकि वह लगातार आप से व्यापार करने को कहता रहता है।
  • जब आप फाइनेंसियल टीवी देखते हैं तो आपको लगता है कि निवेश किसी तरह का युद्ध है या फिर ऐसे जंगल में जीवित रहना है जहां चारों तरफ जंगली जानवर है लेकिन निवेश किसी दूसरों को हराने के बारे में सोचना नहीं है यह अपने ही खेल में खुद को नियंत्रित करने के बारे में है।
  •  बुद्धिमान निवेशक के लिए चुनौती उन शेयरों को ढूंढना नहीं है जो सबसे ऊपर या सबसे नीचे जाएंगे बल्कि अपने आपको अपने सबसे बड़े दुश्मन होने से रोकना है और रोकना है।
  •  खुद को केवल इसीलिए महंगा शहर खरीदने से क्योंकि मार्केट कहता है खरीदें और केवल इसलिए सस्ता बेचने से क्योंकि मार्केट क्रैश होता है और कहता है कि बेंचें अगर आपका निवेश लंबे समय के लिए है तो आपको इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं करनी है कि मार्केट क्रैश होता है या ऊपर जाता है आपको किसी भी कीमत पर अपने शेयर को बेचना नहीं है आपको अपने आप को यह बार-बार ध्यान दिलाना है कि आपको अपने भावनाओं के बस मेंआकर निर्णय नहीं लेना है आपको कुछ सिद्धांत सीखने हैं और फिर उन्हीं पर अमल करना है।
 आशा करता हूं आपको पोस्ट पसंद आई होगी अगर पसंद आई हो तो कृपया  कमेंट और शेयर करें और आप आगे भी अगर ऐसी पोस्ट चाहते हैं तो कमेंट करके अवश्य बताएं, धन्यवाद

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